Friday, August 15, 2014

दिल की आजादी



हे इंसान तू क्यों नहीं है आजाद अपने मन से ??

तू क्यों खुशियों के बाग का साथ छोड़कर गमों के वन में चला जाता है भटकने के लिए ??

क्यों अपने वर्तमान में भूत को याद कर अपना भविष्य खराब कर रहा है ??

शायद तुझे नहीं पता , ये जो गम है ना ये कभी अकेला नहीं आता ये लाता हे अपने साथ में 1 और गम (GUM)। जो उसे रखता हे सदा 1 ही जगह पर चिपकाकर ।

तू अपने जेहन में उन बीते हुए गमों को क्यों इकट्ठा कर रहा है ??


इन्हें भुलाने के लिए तू कितने भी आँसू क्यों ना बहाले पर ये तेरे उन आँसुओं मे नहीं बहेंगे ।



मेरी बात मान , 


निकाल फेंक इस गम रूपी वाइरस को अपनी (Heart) हार्ट डिस्क से और कर दे इस दिल को भी आजाद सदा के लिए !!!


-Vikas Soni